सलीम की गवाही

सलीम वह सब करता था जो उसे जीवन में मज़ा देता था और उसके जीवन को आनन्दमय बनाता था। परन्तु मन के अन्दर कहीं पर वह बहुत ही बेचैन और परेशान रहता था। उसका कहना था मेरे अन्दर एक अनजानी सी आवाज़ सदा मुझ से कहती रहती थी कि मैं सब कुछ गलत कर रहा हूँ।