The Father’s Love Letter (text version)

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मेरे बच्चे,

हो सकता है तुम मुझे नहीं जानते हो पर मैं तुम्हारे विषय में सब कुछ जानता हूँ। (भजन 139 का 1 पद)

मैं तेरे उठने और बैठने को जानता हूँ और तेरे विचारों को दूर से ही समझ लेता हूँ। (भजन 139 का 2 पद)

मैं तेरे सारे चाल-चलन को जानता हूँ। (भजन 139 का 3 पद)

मेरे पास तेरे सिर के बालों की भी गिनती है। (मत्ती 10 का 29 से 31 पद)

तुम को मेरे ही स्वरूप में सिरजा गया है। (उत्पत्ति 1 का 27 पद)

तुम मुझ में जीते और चलते-फिरते रहते हो। (प्रे. के काम 17 का 28 पद)

तुम मेरे वंशज हो (प्रे. के काम 17 का 28 पद)

मैं तुम को माता के गर्भ में आने से पहले से जानता हूँ। (यर्मियाह 1 का 4-5 पद)

मैं ने तुम को सृष्टि को रचते समय ही चुन लिया था। (यर्मियाह 1 का 11-12 पद)

तुम्हारी रचना कोई भूल नहीं थी क्योंकि जैसे भी तुम्हारे बेडौल शरीर को रचा गया था वह मेरी पुस्तक में लिखा है। (भजन 139 के 15 और 16 पद)

मैं ने ही निश्चित किया था कि समय तुम्हारा जन्म होगा और तुम कहाँ रहोगे। (प्रे. के काम 17 का 26 पद)

तुम्हारी रचना अदभुत और भयानक रीति से की गई थी। (भजन 139 का 14 पद)

मैंने ही तुझ को तेरी माता के गर्भ में तुझ को रचा था। (भजन 139 का 13 पद)

मैंने ही तुझ को तेरे जन्म के दिन तेरी माता के गर्भ से निकाला था। (भजन 71 का 6 पद)

जो लोग मुझ को नहीं जानते हैं उन लोगों ने मेरा गलत प्रदर्शन किया। (यहुन्ना 8 का 41 से 44)

मैं तुझ से दूर नही हूँ और न ही मैं क्रोधी हूँ वरण मैं तो प्यार की पूर्ण का प्रतिरूप हूँ। (1 यहुन्ना 4 का 16 पद)

और यह मेरी इच्छा है कि मैं अपना प्रेम तुम पर बहुतायत से उँडेल दूँ। यह केवल इस लिए है कि तुम मेरी संतान हो और मैं तुम्हारा पिता हूँ।(1 यहुन्ना 3 का 1 पद)

मैं तुम को उससे बहुत अधिक देता हू जो तेरे पिता ने तुझ को दिया था। (मत्ती 7 का 11 पद)

क्योंकि मैं सर्वोत्तम पिता हूँ। (मत्ती 5 का 48 पद)

तुझ को जो कुछ भला प्राप्त होता है वह मेरे ही हाथों के द्वारा आता है। (याकूब 1 का 17 पद)

मैं ही तेरा पूर्तिकर्ता हूँ और मैं ही तुम्हारी सारी ज़रूरतों को पूरा करूँगा। (मत्ती 31 से 33 पद)

मेरी योजनाएँ जो तुम्हारे लिए है वे सदा आशा से भरी होती हैं। (यर्मियाह 29 का 11 पद)

मैं तुम से अनन्त काल तक के लिए प्रेम करता हूँ। (यर्मियाह 31 का 3 पद)

मेरे विचार जो तेरे विषय में है वे सागर की रेत के कणों के समान गिने नहीं जा सकते हैं। (भजन 139 का 17 और 18 पद)

मैं तेरे लिए आनन्द से गा कर आनन्दित रहता हूँ। (सपन्याह 3 का 17 पद)

मैं कभी भी तेरे लिए भला करना नहीं छोड़ूँगा। (यर्मियाह 32 का 40 पद)

क्योंकि तू मेरा निज का कीमती धन है। (निर्गमन 19 का 5 पद)

मैं पूरे दिल और आत्मा से तुझे को स्थापित करूँगा। (यर्मियाह 32 का 41 पद)

और मैं तुझ को महान और अदभुत चीज़ें दिखाना चाहता हूँ। (यर्मियाह 33 का 3 पद)

यदि तू मुझे अपने पूरे दिल से ढूँढे तो निश्चय ही मुझ को पा लेगा। (लैव्यवस्था 4 का 29 पद)

सो मुझ में आनन्दित रह और मैं तुझ को तेरे दिल की सारी अभिलाषाओं को पूरा कर दूँगा। (भजन 37 का 4 पद)

क्योंकि मैं ही हूँ जिसने तुझ को वे इच्छाएँ दी हैं। (फिलि. 2 का 13 पद)

मैं तेरे लिए जो तू सोच भी नहीं सकता है उस से कहीं अधिक कर देने की क्षमता रखता हूँ। (इफि. 3 का 20 पद)

मैं ही तेरा सबसे बड़ा उत्साहित करने वाला मित्र हूँ। (2 थिस्लु. 2 का 16-17 पद)

मैं ही वह पिता हूँ जो तेरे दुखों में तुझ को सांत्वना देता है। (2 कुर. 1 कका 3-4 पद)

जब तेरा दिल टूटा होता है तब मैं ही तेरे सब से निकट रहता हूँ। (भजन 34 का 18)

जैसे एक चरवाहा एक मेमने को अपने सीने से लगा कर चलता है वैसे ही मैं भी तुझ को बाहों में उठा कर चलता हूँ। (यशायाह 40 का 11 पद)

और एक दिन मैं तेरी आँखों के हर आँसू को पोंछ डालूँगा। तब मैं तेरी सारी पीड़ा और दुख दूर कर दूँगा जो तूने इस संसार में सहे थे। (प्रकाशित वाक्य 21 का 3-4 पद)

मैं तेरा पिता हूँ, और मैं तुझ से वैसे ही प्रेम करता हूँ जैसा मैं ने यीशु से किया था। (यहु.17 का 23 पद)

क्योंकि यीशु के द्वारा ही मेरा प्रकट हुआ है। यहु. 17 का 26 पद)

यीशु ही मेरे अस्तित्व का सही प्रतिरूप है। (इब्रा 1 का 3 पद)

उसी ने तुम को बताया था कि मैं तो तुम्हारे पक्ष में हूँ, तुम्हारे विरोध में नहीं हूँ। (रोमियो 8 का 31 पद)

मैं बताना चाहता हूँ कि मैं तुम्हारे पापों को नहीं गिन रहा हूँ क्योंकि यीशु मरा कि हम दोनों का मिलाप हो सके। (2 कुर. 5 का 18-19 पद)

यीशु की मृत्यु इस बात का सबूत है कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। (1 यहु. 4 का 10 पद)

मैं ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था कि मैं तुम्हारे प्रेम को पा सकूँ। (रोमियो 8 का 31-32)

सो यदि तुम मेरे पुत्र यीशु की भेंट को स्वीकार करते हो तो तुम मुझे स्वीकार करते हो। (1 यहु. 2 का 23 पद)

तब ऐसा कुछ भी नहीं बचेगा जो तुम को मुझ से जुदा कर सकेगा। (रोम. 8 का 38-39 पद)

तुम घर आ जाओ और मैं स्वर्ग में सब से बड़ा उत्सव मनाऊँगा जैसा तुम ने कभी भी देखा नहीं होगा। (लूका 15 का 7 पद)

मैं सदा से पिता हूँ और पिता ही रहूँगा। (इफि. 3 का 14-15 पद)

मेरा प्रश्न यह है कि “क्या तुम मेरी संतान बनना चाहते हो?” (यहु. 1 का 12-13 पद)

मैं तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। (लूका 15 का 11 से 32 पद)

प्यारे पिता,

सर्वशक्तिमान परमेश्वर

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